Tuesday, March 22, 2011

मान सरोवर- स्रृष्टि का आदि स्थान

हिन्दूओं के धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार ईश्वर को जब पुन: जगत रचने की ईच्छा हुयी तो उन्होंने ब्रह्मा के रूप में मान सरोवर में अवतार लिया। अतः हमारे धर्म के अनुसार इस स्रृष्टि की आदि उत्तपति स्थान मानसरोवर है। यह वही मान सरोवर है जिसके पास ही भगवान शिव का निवास स्थान –कैलाश है। ये दोनों स्थल तिब्बत में हैं। तिब्बत भी कभी भारतवर्ष का हिस्सा था। किंतु दुर्भाग्य से आज वह चीन के कब्जे में है।

तिब्बत के इस हिस्से से ही एक तरफ से ब्रह्मपुत्रा नदी निकलती है और दुसरी तरफ से सिन्धु नदी। ये दोनों नदियां भारतीय संस्कृति की जीवनदायनी शक्तियां हैं। मध्यकाल में तिब्बतियों की वीरता के कारण एक बहुत बडा हिस्सा भी तिब्बत का अंग रहा जिसमें से अनेक नदियों का उगम होता है और वे चीन की तरफ जाती हैं।

अब पुरा तिब्बत चीन के कब्जे में है। और वह हमारी पवित्र नदियों से भारत का संबंध विच्छेद का षडयंत्र रच रहा है। वह ब्रह्मपुत्रा आदि पर बडे- बडे बांध बनाकर उन्हें अपनी और मोड रहा है। क्या ब्रहम्पुत्रा आदि के बिना भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण रह पायेगी? अब समय आ गया है हिन्दू समाज जागे और हमारे आस्था के अनुसार स्रृष्टि का आदि स्थान तथा हमारी संस्कृति की जीवानदायनी नदियों के उगम स्थान वाले तिब्बतके हिस्से को पुन: प्राप्त करने का पुरुषार्थ करे। इस विषय में क्या हो कैसे हो इस पर सभी के विचार आमंत्रित हैं।